इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए प्रो० सदाशिव कुमार द्विवेदी, समन्वयक, भारत अध्ययन केंद्र ने आलंकारिकों की समीक्षात्मक वैदुषी के विविध आयामों पर प्रकाश डालते हुए लोक और कला में रस की सत्ता के पार्थक्य का विवेचन किया | प्राचार्या डॉ० रचना श्रीवास्तव ने संस्कृत मातृमंडलम के द्वारा नारी में सांस्कृतिक बोध के जागरण के उद्देश्य पर प्रकाश डाला | हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ० तृप्ति रानी जायसवाल ने समागत अतिथियों का स्वागत किया | धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभागाध्यक्षा डॉ० शांता चटर्जी तथा सञ्चालन डॉ० मंजू कुमारी ने किया | इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राध्यापिकाओं सहित श्रीमती मंजू सुन्दरम, डॉ० अनुराधा बैनर्जी एवं डॉ० हेमाकृष्णन ने अपनी महनीय उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की |